कभी कभी किसी वजह से हम इतने दुखी हो जाते हैं कि दिल खोलकर रोने का मन करता हैं पर शायद इसलिए नहीं रो पाते हैं कि जो हमसे जुड़े हैं वह हमें रोता देख परेशान हो जाएंगे चलो हम मानते हैं कि आँखो में आ रहे हैं तो आसुओ को छुपा लेना तो आसान हैं पर यकीन करलो जो तुमसे दिल से जुड़े हैं वह तुम्हारे भरी गले की आवाज से समझ जाएंगे तुम्हारे रोने को तो फ़िर उनसे छिपना क्या .. इसलिए मुझे लगता हैं कि आँसुओ को बहा देना ज्यादा सही हैं चीख कर रो लेना ज्यादा आराम देह हैं जो जमा होकर शायद एसिड की तरह जलने लगे.. रो लीजिये अगर कंधा मुकम्मल नही हैं कि आप माँ की गोद में ही सर रख कर रोये या प्रेमिका के कंधे पे बस उसके सामने रोना जो तुम्हारे रोने को तुम्हारी कमजोरी ना समझे नही तो किसी रोज़ यह विस्फ़ोट करके सुनामी की तरह बाहर आयेंगी.. औऱ तब शायद आप इतने अकेले पड़ जाए कि कंधे की जगह बस कंक्रीट की दीवारें बची हो खंडहर सी शक्ल लिए.. मुझे तो रोने के लिए ना तो किसी का कंधा मिलता हैं और न ही किसी की गोद इसीलिए मैं कमरा बंद करके अकेले में रो लेता हूँ यकीन कर लो रोने के बाद दिमाग के साथ-साथ पूरा शरीर फ्रेश जाता हैं !
Dream -I write about relationships, friendship, life, work and feelings from a variety of perspectives. My authority to do so comes from years of experience, diligence in study of such matters and my clairvoyant gifts that impart clarity of mind and Heart.
About Me
- संचित कुमार सिंह
- DIARY JOURNEY-THE IMMUTURE STORYTELLER/ ONE HELL OF GUY-NEW YORK ''OUTSTANDING GENTLEMAN''-WASHINGTON POST I WISH I COULD BE MORE LIKE HIM-''THE MOST INTERESTING MAN IN THE WORLD/ OUR HERO'S -JUSTIC LEAGUE/ ''HE IS MY PHONE'S BACKGROUND''-MOM/ MUSIC-BEN HOWARD/NIRVANA ALL SERIES/ HE IS THE BEST-AVENGERS STAN LEE IS MY HERO.
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