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Tuesday 21 2022

चीख कर रो लेना ज़्यादा आराम देह हैं



 कभी कभी किसी वजह से हम इतने दुखी हो जाते हैं कि दिल खोलकर रोने का मन करता हैं पर शायद इसलिए नहीं रो पाते हैं कि जो हमसे जुड़े हैं वह हमें रोता देख परेशान हो जाएंगे चलो हम मानते हैं कि आँखो में आ रहे हैं तो आसुओ को छुपा लेना तो आसान हैं पर यकीन करलो जो तुमसे दिल से जुड़े हैं वह तुम्हारे भरी गले की आवाज से समझ जाएंगे तुम्हारे रोने को तो फ़िर उनसे छिपना क्या .. इसलिए मुझे लगता हैं कि आँसुओ को बहा देना ज्यादा सही हैं चीख कर रो लेना ज्यादा आराम देह हैं जो जमा होकर शायद एसिड की तरह जलने लगे.. रो लीजिये अगर कंधा मुकम्मल नही हैं कि आप माँ की गोद में ही सर रख कर रोये या प्रेमिका के कंधे पे बस उसके सामने रोना जो तुम्हारे रोने को तुम्हारी कमजोरी ना समझे नही तो किसी रोज़ यह विस्फ़ोट करके सुनामी की तरह बाहर आयेंगी.. औऱ तब शायद आप इतने अकेले पड़ जाए कि कंधे की जगह बस कंक्रीट की दीवारें बची हो खंडहर सी शक्ल लिए.. मुझे तो रोने के लिए ना तो किसी का कंधा मिलता हैं और न ही किसी की गोद इसीलिए मैं कमरा बंद करके अकेले में रो लेता हूँ यकीन कर लो रोने के बाद दिमाग के साथ-साथ पूरा शरीर फ्रेश जाता हैं ! 


✍️ @संचित सिंह / सस्ता कवि 

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