बस चुप चाप सहता है।
कुछ बुरा नहीं मानता,
बस दूर से देखता रहता है।
तुम्हें आवाज़ नहीं लगाता,
बस तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करता है।
आशिक़ है,
तुम्हारा साथ नहीं चाहता,
बस अपने सवालों के जवाब तलाशता है।
मिल जाये जब फुर्सत के कुछ लम्हें तुम्हें,
तो एक नज़र उसकी ओर देख लेना,
तुम्हारे ज़ुल्मों को सहने की आदत हो गई है उसे
मिल जाये जब फुर्सत के कुछ लम्हे तुम्हे,
तो उसके सवाल सुन लेना।
मिल जाये जब फुर्सत के कुछ लम्हें तुम्हें,
तो आइना देख कर सोचना ज़रूर
उसकी खता क्या थी, उसे बताना ज़रूर।
उसके सवाल बचकाने ही सही,
पर बड़प्पन का लिहाज़ रख कर,
जवाब देना ज़रूर।
ऐसा नहीं की तुम्हारे बिना वो जी नहीं पायेगा,
बस खुश रहने की वजह ढूंढता है।
तुम हो अगर उसकी ज़िन्दगी में,
तो वक़्त रहते संभाल लो उसे
तुम दूर चले गए हो
तो बता दो उसे।
कुछ कहेगा नहीं अब वो
कुछ पूछेगा नहीं अब वो
अपने सवालों से तुम्हें वाकिफ करा चूका है वो,
मिल जाये जब फुर्सत के कुछ लम्हें तुम्हे,
तो उसे अपने पिंजरे से आज़ाद कर देना।
या तो खुद सब ठीक कर देना,
या फिर उसे जवाब दे देना।
आशिक़ है, प्यार किया है उसने।
दोबारा प्यार कर सके, इसका ख्याल रख लेना।
आशिक़ है,इंसान है, एक बेटा है, एक भाई, एक एम्प्लोयी।
अपने आप को दूर रखने के चक्कर में,
कही सभी उससे गंवा ना दे।
बस इतना सा रहम कर देना।